चने की खेती पूरे भारत में होती है. इसका उपयोग खासतौर से दलहन के लिए किया जाता है, पर सब्जी के रूप में भी लोग इसे बहुत इस्तेमाल करते हैं. वहीं, समौसे के साथ चने की सब्जी मिल जाए तो खाने का स्वाद ही बढ़ जाता है. एक शब्द में कहें तो चने का उपयोग भारत में बहुत सारे खाद्य पदार्थ बनाने के लिए किया जाता है. ऐसे में अगर किसान चने की खेती वैज्ञानिक तरीके से करें तो वे अच्छी कमाई कर सकते हैं. ऐसे भी अभी चने की बुवाई करने का समय चल रहा है. इसलिए किसानों के लिए यह खबर बहुत ही जरूरी है. वे इस खबर को पढ़कर और चने की खेती की वैज्ञानिक पद्धि को जानकर फसल की उपज बढ़ा सकते हैं.
दरअसल, चना एक शुष्क और ठंडी जलवायु की फसल है. रबी मौसम में इसकी खेती की जाती है. अक्टूबर और नवंबर का महीना इसकी बुवाई के लिए अच्छा माना गया है. इसकी खेती के लिए सर्दी वाले क्षेत्र को सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है. इसकी खेती के लिए 24 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त है. खास बात यह है कि चने की खेती हल्की से भारी मिट्टी में भी की जा सकती है. लेकिन चने के अच्छे विकास के लिए 5.5 से 7 पीएच वाली मिट्टी अच्छी मानी गई है. इसलिए चने की बुआई करने से पहले मिट्टी का शोधन जरूरी है.
किसी भी फसल की खेती करने से पहले मिट्टी को शाधन जरूरी माना गया है. इसलिए यह नियम चने की खेती पर भी लागू होता है. क्योंकि चने की फसल में कई प्रकार के रोग लग जाते हैं. ऐसे में चने की बुआई करने से पहले मिट्टी शोधन जरूरी है. किसानों को खेती की आखिरी जुताई करने से पहले दीमक व कटवर्म से बचाव के लिए मिट्टी में क्युनालफॉस (1.5 प्रतिशत) चूर्ण 6 किलो प्रति बीघे के हिसाब से मिला देना चाहिए. फिर, दीमक नियंत्रण के लिए बिजाई से पहले 400 मिली क्लोरोपाइरिफॉस (20 EC) या 200 मिली इमिडाक्लोप्रीड (17.8 एसएल) की 5 लीटर पानी का घोल बनाकर तैरायर कर लें. फिर, 100 किलो बीज को उस घोल में अच्छी तरह से मिला दें. ऐसा करने से फसल अच्छी होती है. इसी तरह जड़ गलन और उखटाकी समस्या से बचने के लिए बुवाई से ट्राइकोडर्मा हरजेनियम और स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस जैव उर्वरक का उपयोग करें.
चने की किस्में
बी.जी.डी. 72- बी.जी.डी. 72 के दानों का आकार बड़ा होत है. यह विल्ट, एस्कोकाइटा ब्लाइट, और जड़ सड़न से प्रतिरोधक है.
के ऐ के 2- चने का यह किस्म बड़ा काबुली चना है. यह जल्दी पकन वाली किस्म है. इसकी पत्तियां हल्क हर रंग की होती हैं. यह सिंचित और वर्षाधारित चने की किस्म है.
जे.जी.-7- जे.जी.-7 सवहनी विल्ट से प्रतिरोधक है. अच्छी शाखायें वालीकिस्म हैं. इसके बीज मध्यम बड़ आकार के होत हैं. सिंचित और असिंचित क्षेत्रों दोनों के लिए यह उपयुक्त है.
नोट: इस लेख में दी गई सभी जानकारी केवल जानकारी के उद्देश्य के लिए लिखी गई है।