भारत में गांजा यानी कैनाबिस या मारिजुआना (Marijuana) का क्रय-विक्रय और सेवन गैर-कानूनी है। मारिजुआना के साथ पकड़े जाने पर नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट यानी एनडीपीएस (NDPS) एक्ट की तहत कार्रवाई होती है। यह कानून नशीले पदार्थों की तस्करी से संबंधित है।
इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों को 1 से 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा होती है। साथ ही कम-से-कम 1 लाख रुपए का जुर्माना देना होता है। इसी अधिनियम के तहत ही साल 1986 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का गठन किया गया था। दिसंबर 2021 में केंद्र सरकार ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम में संशोधन के लिए लोकसभा में विधेयक पेश किया था। विधेयक पास हो गया था।
क्या है NDPS एक्ट?
NDPS एक्ट दो भागों में बंटा हुआ है। पहला भाग एनडी और दूसरा भाग पीएस। ND का मतलब नार्कोटिक ड्रग (Narcotic Drugs) और PS का मतलब साइकोट्रॉपिक सबस्टांस (Psychotropic Substances)
गांजा, अफ़ीम, डोडा, चूरा आदि नार्कोटिक ड्रग में आते हैं। यह प्राकृतिक रूप से उपलब्ध ड्रग्स होता है। यह सोचने समझने की झमता पर असर करता है। साइकोट्रॉपिक सबस्टांस के तहत श्रेणीबद्ध ड्रग्स में केमिकल मिला होता। इसके तहत एमडीएमए, एमडी, एक्सटैसी, एल्प्राज़ोलम आदि आते हैं। आमतौर पर NDPS एक्ट के तहत केवल नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ही कार्रवाई करती है।