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Friday, March 31, 2023

‘हम वेल्ले हैं क्या?’ दिल्ली दंगे की सुनवाई में नहीं पहुंचे केंद्र के सॉलिसिटर जनरल तो भड़के सुप्रीम कोर्ट के जज; दी चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 31 जनवरी को दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार के वकील को कड़ी फटकार लगाई। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट दिल्ली दंगे (Delhi Riots Case) से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहा था। SC की बेंच के सामने दिन में दो बार मामला सुनवाई के लिए आया, लेकिन केंद्र के सॉलिसिटर जनरल (SG) उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट नाराज हो गया और फटकार लगाते हुए कहा कि अगर अगली बार से सॉलिसिटर जनरल उपलब्ध नहीं हैं तो वैकल्पिक व्यवस्था करें।

क्या था पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा स्टूडेंट एक्टिविस्ट देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत देने के खिलाफ दायर दिल्ली पुलिस की अपील पर सुनवाई कर रहा था। मंगलवार (31 जनवरी) को जब सुबह मैटर सुनवाई के लिए आया तो दिल्ली पुलिस की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ, जो केंद्र सरकार को रिपोर्ट करती है। इसके बाद बेंच ने तय किया कि मामले की सुनवाई दोपहर बाद होगी। शाम 4 बजे जब दोबारा सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ए.एस ओका की बेंच दोबारा सुनवाई के लिए बैठी तो केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडवोकेट रजत नय्यर ने बेंच को बताया कि सॉलिसिटर जनरल कोर्ट में मौजूद तो थे, लेकिन दूसरे मामले में संवैधानिक पीठ की सुनवाई के चलते उन्हें जाना पड़ा।

‘हम लोग यहां वेल्ले बैठे हैं क्या?’

लाइव लॉ (Live Law) की रिपोर्ट के मुताबिक इस पर जस्टिस संजय किशन कौल नाराज हो गए। उन्होंने कहा, ‘सॉलिसिटर जनरल (SG) को तो मैंने भी देखा। लेकिन अब सवाल यह है कि सुनवाई कैसे होगी। इस पर केंद्र के वकील नय्यर ने कहा कि कृपया अगले हफ्ते की डेट दे दें, उस वक्त सॉलिसिटर जनरल मौजूद होंगे’। इस पर जस्टिस कौल ने बिफरते हुए कहा कि ‘हम लोग वेल्ले बैठे हैं क्या? हम लोग यहां बैठे रहे हैं और जब आपका मन करे तब आएं, जब मन चाहे तब जाएं’। इस नय्यर ने कहा ‘आई एम सॉरी माय लॉर्ड…’।

‘अगली बार नहीं आए तो मान लेंगे केंद्र का कोई पक्ष नहीं’

जस्टिस कौल ने आगे कहा, ‘सॉलिसिटर जनरल उपलब्ध नहीं हैं तो किसी और को आना चाहिए। वैकल्पिक व्यवस्था करें। SG की तमाम मामलों में जरूरत पड़ती है। क्या यह ऐसा मामला है जिसमें सॉलिसिटर जनरल का होना जरूरी है, मुझे तो नहीं पता? मैंने पिछली बार भी आपको वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा था। हम आपको आखिरी मौका दे रहे हैं। अगली बार ऐसा ना हो और अगली बार हमें अनुरोध ना करना पड़े। क्योंकि अगली बार हम ऐसे ही मामले की सुनवाई करेंगे और फैसला दे देंगे।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि ‘अगर अगली बार केंद्र सरकार की तरफ से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई तो हम यह मान लेंगे कि केंद्र सरकार का इस मामले में कोई पक्ष नहीं है’।

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