यह दबाव उस वक्त और बढ़ जाता है, जब कोई मामला विदेश से जुड़ा हो। पिछले दिनों एक ऐसी घटना घटी, दरअसल एक विदेशी नागरिक ने विभाग को जानकारी दी कि वह एक भीड़भाड़ वाले बाजार में कुछ खरीदारी करने के लिए आया था, लेकिन उसकी स्कूटी चोरी हो गई।
अब मामला विदेशी मेहमान से जुड़ा था तो यह घटना विभाग की प्रतिष्ठा पर भी बन आइ। विभाग के आला अधिकारी से लेकर जवान तक सक्रिय हो गए, जो अकसर गंभीर से गंभीर मामलों में अनसुना कर देते हैं। सबसे स्मार्ट कहे जाने वाले विभाग ने चंद मिनट में पता लगा लिया कि मेहमान की स्कूटी चोरी नहीं हुई थी, बल्कि विभाग के लोग ही उठाकर ले गए थे, जो कि मेहमान ने भूलवश नो पार्किंग जोन में खड़ी कर दी थी।
नई दिल्ली नगर पालिका परिषद का एक महकमा ऐसा है जो सिर्फ बैठक के दिन जागता है। शेष दिन चैन की नींद सोए रहता है। हालांकि यह विभाग एनडीएमसी की जान है और इसके बिना शायद ही काम चले। लेकिन बेदिल को पिछले दिनों बजट के दौरान इस विभाग से सवाल क्या करने का मौका मिला कि विभाग के सारे आला अधिकारी ने अपना फोन ही बंद कर दिए। देर रात जब किसी ने फोन नहीं उठाया तब जाकर एनडीएमसी इलाके के एक विधायक से फोन कर उस जानकारी को पुख्ता किया गया। इसे कहते हैं कि जरूरत पड़े तो कोई काम नही आता।
कानून से बच नहीं सकते
दिल्ली पुलिस का यातायात यूनिट इन दिनों ज्यादा से ज्यादा चालान करने में सक्रिय है। दरअसल दिल्ली में चालान की संख्या को महीने में पूरा करने का दबाव रहता है। अब प्रगति मैदान जैसे इलाके में दूर से ही लोग पुलिस की सक्रियता को भांप जाते हैं और चालान से बचने के लिए तरकीब निकाल लेते हैं। पुलिस वाले भी पेड़ की ओट में खुद को छिपा लेते हैं और जैसे ही यातायात नियमों के उल्लंघन करने वाले सामने आते हैं, उन्हें धर दबोच कर रसीद थमा देते हैं। इसे कहते हैं कानून से कोई बच नहीं सकता।
रातों-रात बदल रहे खोखे
नोएडा का सरकारी अमला इन दिनों वैश्विक निवेशक सम्मेलन की तैयारियों में जुटा है। ऐसे माहौल में चहेतों को नियमों को दरकिनार कर फायदा पहुंचाने वाले अधिकारी भी जमकर मनमानी कर रहे हैं। शहर के सबसे बड़े व्यवसायिक सेक्टर-18 में जहां छोटे से खोखे को नीलामी में लाखों रुपए किराए तक की बोली लग रही है। इसी खेल में अपने चहेतों को आगे कर प्राधिकरण अधिकारी भी इसमें हिस्सा लेने लगे हैं।
सीधे तौर पर महंगी बोली लगाकर नहीं बल्कि चहेतों को सबसे बेकार और पीछे की तरफ बने खोखे को बहुत कम बोली लगाकर अपने नाम आबंटित करा रहे हैं। रातों- रात उस खोखे को फिर सबसे महत्वपूर्ण जगह पर उठाकर लगा कर लाखों रुपए महीने का किराया वसूल रहे हैं। रातों- रात सबसे महत्वपूर्ण जगह खोखा आ जाने पर करोड़ों की कीमत की दुकान और लाखों का लीज रेंट देने वाले दुकानदारों ने जब सवाल उठाया, तो प्राधिकरण अधिकारियों की तरफ से उन्हें चुप रहने या परिणाम भुगतने की चेतावनी दी जा रही है। पानी में रहकर मगर से बैर रखने की कहावत बताकर उन्हें चुप कराया जा रहा है।
बोली में मिल रहा गेहूं
दिल्ली में आम जनता को राहत दी जा सके, इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार आम जनता को राशन की दुकानों राहत सामग्री के तौर पर चावल, गेहूं उपलब्ध करा रही है। यह राशन लोगों द्वारा पहले जमा किया जा रहा है और इसके बाद खुले बाजार में बेचा जा रहा है। लेकिन अब एक चौकाने वाला मामला देखने को मिला, जब पूर्वी दिल्ली की कालोनियां में रेहड़ी वाले बोली लगाकर राशन का गेहूं खरीदते और उसे मुख्य बाजारों में थोक दुकानदारों को बेचते नजर आए।