सांसदों की लोकप्रियता जनता के बीच अब कैसी है? जैसे तमाम मसलों की जमीनी हकीकत की पड़ताल करने के लिए योगी आदित्यनाथ ने अपने 49 मंत्रियों को जनता के बीच भेजने का फैसला किया है। ये मंत्री निकाय चुनाव में जनता के मिजाज और सांसदों का रिपोर्ट कार्ड मुख्यमंत्री को सौंपेंगे। जिसे पार्टी आलाकमान को भेजा जाएगा।
उत्तर प्रदेश में मई में होने वाले संभावित निकाय चुनाव को ध्यान में रख कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने 49 मंत्रियों को जिलों का प्रभारी बना कर मैदान में उतारा है।इनको उन जिलों का पूरा ब्योरा एकत्र करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जहां का प्रभार इन्हें सौंपा गया है। खास बात यह है कि मंत्रियों को अपने जिलों से इतर दूसरे जिलों का प्रभार सौंपा गया है ताकि वे निष्पक्ष हो कर सही रिपोर्ट मुख्यमंत्री और पार्टी आलकमन को सौंप सकें।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि इन मंत्रियों को निकाय चुनाव को प्रभावित करने वाले मुददों का सही आकलन करने को कहा गया है। साथ ही वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर सांसदों का रिपोर्ट कार्ड भी तैयार करने की जिम्मेदारी इन्हें सौंपी गई है। सूत्रों का कहना है कि मंत्री इस बात का पता लगाएंगे कि बीते चार वर्षों में कौन कौन से सांसद ऐसे हैं जिनकी लोकप्रियता का ग्राफ उनके संसदीय क्षेत्रों में जनता के बीच गिरा है।
पार्टी आलाकमान ने ऐसे सांसदों का पूरा ब्योरा योगी आदित्यनाथ से मांगा है ताकि लोकसभा चुनाव के पूर्व टिकट बांटते समय इन रिपोर्ट को आधार मान कर कोई फैसला किया जाए। योगी आदित्यनाथ ने अपने सभी 49 मंत्रियों को कहा है कि वे कम से कम एक दिन अपने प्रभार वाले जिलों में रात्रि प्रवास करें और जनता सीधा संवाद स्थापित करने की कोशिश करें। वे पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी सीधा संपर्क करें और प्रदेश में 24 हजार से अधिक कमजोर बूथों को कैसे दुरुस्त किया जाए? इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करें।
वर्ष 2011 में उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दलित बस्तियों में जिस तहरी और खिचड़ी भोज की शुरुआत की थी, इन मंत्रियों को उसे पुन: शुरू करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इन मंत्रियों से कहा है कि वे अपने प्रभार वाले जिलों में दलित बस्तियों में सघन जनसम्पर्क करें। साथ ही वहां तहरी और खिचड़ी भोज का आयोजन कर उसमें जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं की सहभागिता को सुनिश्चत करें। ऐसा इसीलिए कहा गया है ताकि निकाय और लोकसभा चुनाव में वोटों की शक्ल में इसका पूरा लाभ लिया जा सके।
इनके अलावा प्रभारी मंत्रियों को तहील और विकासखंडों का औचक निरीक्षण करने, विकास कार्यों का स्थलीय निरीक्षण कर उनकी गुणवत्ता की परख करने, उस जिले की कानून व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा करने, महिला सुरक्षा से जुड़े मसलों की हकीकत परखने और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति से जुड़े प्रकरणों के अभियोजन की स्थिति की समीक्षा करने के निर्देश भी इन मंत्रियों को दिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में जल्द होने वाले निकाय चुनाव और अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले योगी आदित्यनाथ तैयारी पूरी करना चाहते हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि मंत्रियों को जनता के बीच भेजने का कितना लाभ वोटों की शक्ल में भारतीय जनता पार्टी ले पाती है।