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Friday, March 31, 2023

Kashmir: कृषि भूमि की खरीद फरोख्त से सींची जा रही ‘आतंक की खेती’, प्रशासन ने ऐसी जमीन की बिक्री पर लगाई रोक

Land in Jammu Kashmir: जम्मू और कश्मीर में सरकारी जमीन का अतिक्रमण (encroachment) करने वाली संपत्तियों पर कार्रवाई जारी है। इस बीच जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) प्रशासन ने एक आदेश जारी करते हुए तहसीलदारों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि लापता लोगों की कृषि भूमि उनके परिवार के सदस्यों द्वारा नहीं बेची जाए। साथ ही प्रशासन ने कहा है कि इन ज़मीनों पर उगी फसलों की आय का उपयोग किसी तीसरे पक्ष के द्वारा नहीं किया जाए।

Jammu-Kashmir में कृषि भूमि की खरीद फरोख्त से सींची जा रही ‘आतंक की खेती’

प्रशासन ने तहसीलदारों से इन लापता लोगों को ‘मृत’ घोषित करने और ऐसी भूमि का कोई राजस्व दस्तावेज जारी नहीं करने को कहा है। संभागीय आयुक्त, कश्मीर के कार्यालय द्वारा 31 जनवरी 2023 को जारी आदेश में कहा गया है कि ऐसा संदेह है कि इस तरह की संपत्तियों का इस्तेमाल उग्रवाद को वित्तपोषित करने के लिए किया जा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि ये संपत्तियां ज्यादातर उन लोगों की हैं, जो उग्रवाद के चरम के दौरान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर गए थे और तब से वापस नहीं आए हैं। इनमें से कुछ ऐसे लोगों की भी जमीन हैं जिनके उग्रवाद में शामिल होने का संदेह है और वे सालों से लापता हैं।

Terror Funding के लिए किया जा रहा इन जमीनों का इस्तेमाल

आदेश के अनुसार, हाल ही में जांच के दौरान यह सामने आया कि बारामूला जिले के तंगमर्ग में कुछ जमीन ऐसे लोगों की हैं, जिनका पता नहीं चल पाया है और उन्हें इन भूमि पर उत्पादित फसलों का कोई हिस्सा नहीं मिल रहा है। सूत्रों ने कहा कि आगे की जांच में घाटी की सभी तहसीलों में ऐसी जमीनें पायी गईं।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने उन्हें सूचित किया है कि इस तरह की संपत्तियों का इस्तेमाल आतंकवाद की फंडिंग के लिए किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, “इसको ध्यान में रखते हुए सभी तहसीलदारों को पूछताछ करने, ऐसे भूखंडों को मार्क करने और उनका दुरुपयोग न हो यह सुनिश्चित करने का आदेश जारी किया गया है।”

सात साल से अधिक समय तक गायब रहने पर मृत माना जाएगा जमीन का मालिक

इस नियम के मुताबिक, अगर कोई भूमिधारक गांव से गायब है और सात साल से अधिक समय तक भूमि पर खेती नहीं करता है या उपज का हिस्सा नहीं लेता है, तो उसे गैर हाजिर/गैर कबीज के रूप में नामित किया जाएगा। आदेश के मुताबिक, “ऐसी स्थिति में, उचित जांच करने के बाद संबंधित तहसीलदार को यह मान लेना चाहिए कि वह मर चुका है और तदनुसार मामले पर आदेश पारित करेगा। राजस्व रिकॉर्ड में औपचारिक प्रविष्टि करने से पहले तहसीलदार संबंधित जिला कलेक्टर से इसकी पुष्टि भी करवाएगा।”

Migrants पर नहीं लागू होगा यह नियम

ऐसे ‘गैर हाजिर/गैर कबीज’ व्यक्तियों के हिस्से को परिवार के सदस्यों/अन्य सह-हिस्सेदारों द्वारा उपयोग करने की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि, वे इसे बेचने, उपहार देने या किसी भी तरीके से शेयर करने के हकदार नहीं होंगे, ना ही किसी भी तरीके से संपत्ति में तीसरे पक्ष को शामिल करेंगे। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यह प्रवासियों की संपत्तियों पर लागू नहीं होता है।

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