Monday, September 25, 2023

पंच केदार रूप में देवभूमि में वास करते हैं भगवान शिव

उत्तराखंड देवभूमि हिमालय एक साधना स्थल है। मान्यता है कि यहां पर कंकर-कंकर में शंकर का वास है। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में नागाधिराज हिमालय के शिखरों पर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम है। वहीं, केदारनाथ धाम के साथ भगवान शिव अपने पांच विशिष्ट रूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं और भगवान शंकर के इन विशिष्ट रूपों को ‘पंच केदार’ कहा जाता है।

भगवान शिव इन पांच मंदिरों में पंच केदार के रूप में अपने विभिन्न नामों के साथ विराजते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इन पंच केदारों के दर्शन करने और उनका स्मरण करने से श्रद्धालुओं को शिवत्व प्राप्त होता है और मोक्ष मिलता है। केदारनाथ धाम का अपना विशेष महत्त्व है। पंच केदारों में भगवान शिव के ये चार स्थान केदारनाथ के ही भाग हैं। मान्यता है कि हिमालय क्षेत्र में स्वर्गारोहण पर निकले पांडवों से नाराज होकर महादेव इन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे।

पांडव जब महादेव को ढूंढ़ते हुए केदारनाथ पहुंचे तब महादेव भैंस के रूप में प्रकट हुए। पांडवों ने इन्हें पहचान लिया और इस तरह पंच केदार के अन्य चार पवित्र पावन स्थानों में महादेव पांडवों को विभिन्न रूपों में दिखाई दिए। पंच केदार के इन विभिन्न रूपों के दर्शन के बाद भगवान शिव पांडवों को अपने संपूर्ण रूप में दिखाई दिए और उन्हें वरदान दिया। इसके बाद उनके स्वर्गारोहण की यात्रा पूरी हुई और जो भक्त इन पंच केदारों की पावन पवित्र तीर्थयात्रा करते हैं, वे सीधे शिवलोक को प्राप्त करते हैं।

केदारनाथ महादेव मंदिर

केदारनाथ धाम में स्थित केदारनाथ महादेव मंदिर पंच केदार मंदिरों में प्रथम स्थान पर आता है, जो द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल है। मान्यता है कि स्वर्गारोहण के लिए निकले पांडवों ने केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया था। इसका आठवीं और नौवीं शताब्दी के मध्य आदि जगतगुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। कहा जाता है कि केदारनाथ धाम में पावन पवित्र स्थल है, जहां भगवान शिव का कूबड़ प्रकट हुआ था। केदारनाथ की पूजा अर्चना करने से श्रद्धालुओं को भगवान शिव अपने हृदय में पवित्र पावन स्थान प्रदान करते हैं।

तुंगनाथ महादेव मंदिर

तुंगनाथ महादेव मंदिर विश्व के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक है, साथ ही तुंगनाथ महादेव मंदिर पंच केदारों में भी सबसे ऊंचा है। समुद्र तल से 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर के दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर भी शामिल है। यह वह पवित्र पावन स्थान है, यहां पर पांडवों को भगवान शिव की कृपा से नंदी बैल के रूप में भगवान शिव के हाथ दिखाई दिए थे, शिव के इस रूप को देखने के बाद पांडवों ने तुंगनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था।

मान्यता है कि भगवान राम ने यहां पर स्थित चंद्रशिला शिखर पर ध्यान किया था, जो तुंगनाथ के करीब है। तुंगनाथ महादेव मंदिर और चंद्रशिला शिखर के दर्शन करने से श्रद्धालुओं को एक साथ शिव और नारायण के दर्शन होते हैं और मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति के बाद शिव लोक और विष्णु लोक दोनों एक साथ प्राप्त होते हैं।

रुद्रनाथ महादेव मंदिर

भगवान शिव के केदारनाथ और तुंगनाथ रूपों के बाद रुद्रनाथ महादेव पंच केदार का तीसरा मंदिर है। यह मंदिर हिमालय की चोटियों पर स्थित घने वनों से घिरा हुआ है। मान्यता है कि कि इस क्षेत्र की रक्षा वन देवी करती हैं, तभी इस स्थान पर रुद्रनाथ महादेव की पूजा से पहले वनदेवी की पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि यह वो पवित्र पावन स्थान है, जहां पांडवों को बैल के रूप में भगवान शिव का पवित्र तेजस्वी प्रकाशमान चेहरा दिखाई दिया था। रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना उनके नीलकंठ भगवान के रूप में की जाती है। इस पवित्र पावन मंदिर से नंदा देवी, नंदा घुंटी और त्रिशूल चोटियों के दर्शन होते हैं।

मध्यमहेश्वर मंदिर

मध्यमहेश्वर उत्तराखंड के गढ़वाल के हिमालय में स्थित गौंडर नामक गांव में है। इस मंदिर में भगवान शिव के मध्य भाग या नाभि की पूजा की जाती है। इस पौराणिक मंदिर के गर्भगृह में नाभि के आकार का शिवलिंग विराजमान है। जहां भगवान शिव का पूजन करने से श्रद्धालुओं को शिवलोक की प्राप्ति होती है। यह मंदिर भगवान केदारनाथ के शीतकालीन विश्राम स्थल उखीमठ से करीब 18 किलोमीटर पैदल रास्ते के बाद ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर हरे-भरे जंगलों के मध्य घास के सुंदर मैदान में नजर आता है। यह मंदिर केदारनाथ धाम की पहाड़ियों में स्थित है जहां से चौखंबा की सुंदर चोटियों की प्राकृतिक सुंदरता के दर्शन होते हैं ।

कल्पेश्वर महादेव मंदिर

पौराणिक मान्यता है कि कल्पेश्वर वह पवित्र पावन स्थान है, जहां पांडवों को भगवान शिव के सिर और जटाओं के दिव्य दर्शन हुए थे। कल्पेश्वर महादेव मंदिर में शिव को जटाधर या जतेश्वर के रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव का यह पौराणिक मंदिर हिमालय की उर्गम घाटी में स्थित है जो प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से समृद्ध माना जाता है।

पंच केदारों में कल्पेश्वर महादेव का मंदिर सबसे अंतिम पांचवें केदार के रूप में आता है पंच केदार के अन्य चार मंदिर ठंड में बर्फ की चादरों से लिपटे रहते हैं और शीतकाल के लिए उनके कपाट बंद कर दिए जाते हैं। जिनकी पूजा अर्चना अन्य प्रवास स्थलों में होती है। पंच केदारों में कल्पेश्वर महादेव का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पूरे वर्ष महादेव की पूजा-अर्चना और उनके दर्शन के लिए जाया जा सकता है।

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