Phulera Dooj 2023: फुलेरा दूज का शास्त्रोंं में विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है और बिना किसी मुहूर्त देखे कोई भी शुभ काम किया जा सकता है। आपको बता दें कि इस दिन राधा रानी और कृष्ण भगवान की पूजा आराधना की जाती है। साथ ही फूलों की होली भी खेली जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण ने फूलों की होली खेलने की शुरुआत की थी। इस दिन ब्रज के मंदिरों में इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी को फूलों से सजाया जाता है और उन पर जमकर फूल बरसाए जाते हैं। वहीं ज्योतिष में इस दिन के लिए कुछ उपायों का वर्णन मिलता है। जिनको करने से सुखी दांपत्य जीवन और विवाह के जल्दी योग बन सकते हैं। आइए जानते हैं ये शुभ मुहुर्त, उपाय और तिथि…
फुलेरा दूज 2023 तिथि (Phulera Dooj Tithi 2023)
वैदिक के अनुसार इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 21 फरवरी 2023 को सुबह 07 बजकर 32 मिनट पर होने जा रही है। साथ ही जिसका अंत अगले दिन 22 फरवरी 2023 को सुबह 04 बजकर 27 मिनट पर होगा। उदया तिथि को आधार मानते हुए फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023 को ही मनाई जाएगी।
फुलेरा दूज 2023 शुभ मुहूर्त (Phulera Dooj Shubh Muhurat 2023)
फुलेरा दूज पर्व के दिन श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा गोधुलि मुहूर्त में करने का विधान है। इसलिए इस दिन गोधुलि मुहुर्त शाम 06 बजकर 41 मिनट से शाम 07 बजकर 06 मिनट तक है। वैसे इस दिन शादी या कोई मांगलिक कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है।
फूलेरा दूज पर करें ये उपाय
प्रेम विवाह के लिए करें ये उपाय
यदि आपको काफी प्रयास करने के बाद भी प्रेम विवाह में सफलता नहीं मिल पा रही हो तो इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करें और उनके चरणों में अपने होने वाले जीवन साथी का नाम किसी कागज पर लिखकर रख दें। ऐसा करने से प्रेम विवाह के योग बन सकते हैं।
विवाह के लिए करें ये उपाय
अगर आप विवाह योग्य हो गए हो और विवाह का संयोग नहीं बन पा रहा हो तो फुलेरा दूज के दिन राधाजी को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। ऐसा करने से राधा-कृष्ण की कृपा मिलती है और जल्द विवाह के योग बनते हैं।
दांपत्य जीवन में रहेगी मिठास
यदि आपके दांपत्य जीवन में बाधाएं आती हो और जीवनसाथी के साथ मतभेद रहते हो तो फुलेरा दूज के दिन पति और पत्नी साथ मिलकर राधा-कृष्ण की पूजा करें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवम में मिठास रहेगा।
नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक मान्यता पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं भी हो सकता। सामान्य हित और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए यहां इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।