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Friday, March 31, 2023

Earthquake Gujarat: गुजरात के राजकोट में भूकंप के झटके

Earthquake Gujarat: गुजरात के राजकोट से 270 किमी उत्तर-उत्तर पश्चिम में रविवार दोपहर 3:21 बजे भूकंप आया। इस बात की जानकारी ने नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने दी। एनसीएस ने ट्वीट किया, राजकोट के उत्तर उत्तर पश्चिम (NNW) में लगभग 270 किलोमीटर की दूरी पर दोपहर 3:21 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। पिछले हफ्ते, गुजरात के अमरेली जिले में दो दिनों में भूकंप के तीन मामूली झटके महसूस किए गए थे।

अमरेली जिले के सावरकुंडला तालुका में गुरुवार को 3.1 तीव्रता का भूकंप आया था। हालांकि, जान माल का कोई नुकसान नहीं हुआ था। झटके सावरकुंडला तालुका के मितियाला गांव में अमरेली से 44 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पूर्व में 6.2 किलोमीटर की गहराई में दर्ज किए गए थे।

Earthquake Gujarat: गुजरात के राजकोट से 270 किमी उत्तर-उत्तर पश्चिम में रविवार दोपहर 3:21 बजे भूकंप आया। इस बात की जानकारी ने नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने दी। एनसीएस ने ट्वीट किया, राजकोट के उत्तर उत्तर पश्चिम (NNW) में लगभग 270 किलोमीटर की दूरी पर दोपहर 3:21 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। पिछले हफ्ते, गुजरात के अमरेली जिले में दो दिनों में भूकंप के तीन मामूली झटके महसूस किए गए थे।

अमरेली जिले के सावरकुंडला तालुका में गुरुवार को 3.1 तीव्रता का भूकंप आया था। हालांकि, जान माल का कोई नुकसान नहीं हुआ था। झटके सावरकुंडला तालुका के मितियाला गांव में अमरेली से 44 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पूर्व में 6.2 किलोमीटर की गहराई में दर्ज किए गए थे।

डॉ. एन पूर्ण चंद्र राव के अनुसार, उत्तराखंड का खासकर हिमालयन इलाका जो कि पश्चिमी नेपाल से सटा हुआ है यह सीस्मिक जोन 4 की कैटेगरी में आता है। जमीन के भीतर हो रहे बदलाव के चलते ऐसा भूकंप आना तय है, लेकिन इसकी तारीख या समय सीमा नहीं बताई जा सकती।

तुर्की और सीरिया में भूकंप से मरने वालों की संख्या 50 हजार के पार

तुर्की और सीरिया में छह फरवरी को आए विनाशकारी भूकंप में 50 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई है। वहीं लाखों लोग राहत शिविर में जगह पाने के लिए तरस रहे हैं। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी तुर्की में बड़े पैमाने पर भूकंप के लगभग तीन सप्ताह बाद भी ओमरान अलस्वेद और उनका परिवार अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं। लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें आधिकारिक शिविर में जगह नहीं मिल सकी है।

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