नई दिल्ली. जब कोई इंसान तंगहाली और संघर्षों की भट्टी में तपकर निकलता है और अपने सपनों को साकार करता है, वो हर किसी के लिए मिसाल बन जाता है. भारतीय तेज गेंदबाज टी नटराजन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. उनके पिता साड़ी की फैक्ट्री में मजदूरी करते थे. वहीं, मां सड़क किनारे दुकान लगाकर सामान बेचती थी. इसी से परिवार का पेट पलता था. लेकिन, इसी मुश्किल दौर में घर में भाई-बहनों में सबसे बड़े टी नटराजन की आंखों में क्रिकेटर बनने का सपना पल रहा था.
टी नटराजन के पास क्रिकेट किट तो छोड़िए, एक गेंद तक हीं होती थी. उन्होंने काफी सालों तक टेनिस बॉल क्रिकेट ही खेला. फिर उनकी जिंदगी में कोच जयप्रकाश आए. उन्होंने टी नटराजन के टैलेंट को पहचान और गांव में क्रिकेट खेलने वाला ये लड़का चेन्नई पहुंचा और यहीं से इस खिलाड़ी के प्रोफेशनल क्रिकेटर बनने की शुरुआत हुई. 2010-11 सीजन में पहली बार तमिलनाडु क्रिकेट लीग में खेले. फिर आर अश्विन और मुरली विजय के क्लब से खेलने का मौका मिला. कई सालों की मेहनत के बाद 2015 में फर्स्ट क्लास डेब्यू किया.
कोच जयप्रकाश ने पहली बार टैलेंट पहचाना
टी नटराजन ने करियर की शुरुआत से ही यॉर्कर पर काफी मेहनत की. उन्होंने इस गेंद में महारत हासिल की. इसी खूबी के कारण आईपीएल 2017 में पंजाब किंग्स ने 3 करोड़ में खरीदा और इसके बाद टी नटराजन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. हालांकि, अगले कुछ सालों में आईपीएल में उनका प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा. लेकिन, एक गेंदबाज के तौर पर उनकी काबिलियत पर किसी को शक नहीं था.
भारतीय टीम में चुने जाने की कहानी भी दिलचस्प
बाएं हाथ के तेज गेंदबाज टी नटराजन के टीम इंडिया में चुने जाने की कहानी भी दिलचस्प है. दूसरे खिलाड़ियों के चोटिल होने के काऱण उन्हें 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई भारतीय टीम में अचानक मौका मिला. इसी टूर पर टी नटराजन ने वनडे, टी20 और टेस्ट तीनों ही फॉर्मेट में डेब्यू किया. ब्रिसबेन के गाबा मैदान में खेले अपने पहले टेस्ट में ही टी नटराजन ने 3 विकेट लिए और ऑस्ट्रेलिया का उसी के घर में घमंड तोड़ने में अहम रोल निभाया.