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Sunday, June 11, 2023

Kishan Mahapanchyat: पंजाब-हरियाणा के किसानों ने की दिल्ली कूच, टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ाई

दिल्ली के रामलीला मैदान पर किसानों की महापंचायत के लिए बड़ी संख्या में किसान पहुंत रहे हैं. किसान अपनी पर्सनल गाड़ियों और बसों में सवार होकर दिल्ली के रामलीला मैदान की तरफ गए हैं. हरियाणा और दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बल और बैरिकेडिंग भी की गई है. किसानों को रोककर उनकी गाड़ियों के नंबर पुलिस कर्मचारी नोट कर रहे हैं और वाहन में कितने किसान सवार हैं, यह संख्या भी रजिस्टर में दर्ज की जा रही है, पूछताछ के बाद किसानों को राजधानी दिल्ली के अंदर एंटर करने की परमिशन दी जा रही है.

किसान आंदोलन का गढ़ रहा टिकरी बॉर्डर

टिकरी बॉर्डर राजधानी दिल्ली का वही बॉर्डर है, जहां पर किसान आंदोलन के दौरान किसानों ने पक्के मोर्चा लगा लिए थे. जब दिल्ली पुलिस ने किसानों को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी थी तो ट्रैक्टरों में ही किसानों ने अपने बसेरे बना लिए थे. लेकिन इस बार किसान राजधानी दिल्ली की तरफ रुख कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि उन्होंने बहुत इंतजार किया. मगर सरकार ने उनकी मांगों की तरफ अब तक ध्यान नहीं दिया, इसलिए आज दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है और तमाम किसान संगठनों से जुड़े किसान राजधानी दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं.

दिल्ली दूर नहीं है-किसान

भारतीय किसान यूनियन आजाद के प्रधान सरदार जसविंदर सिंह का कहना है कि सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया था कि एमएसपी को लागू किया जाएगा और उनकी अन्य मांगों पर भी सरकार जरूर ध्यान देगी. आश्वासन के बाद किसान दिल्ली के मोर्चे छोड़ कर अपने घरों की ओर वापस चले गए थे, मगर काफी समय बीत जाने के बावजूद सरकार ने किसानों की मांगों की तरफ अब तक ध्यान नहीं दिया है. किसानों का कहना है कि यह महापंचायत सिर्फ सरकार की आंखें खोलने के लिए है और सरकार को चेतावनी दी जा रही है कि अगर जल्द ही किसानों की मांगों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो यह आंदोलन और बड़ा हो सकता है. किसानों का कहना है कि दिल्ली दूर नहीं है. वह सुबह अपने घरों से निकले थे और अब दिल्ली पहुंच गए हैं.अगर सरकार ने किसानों की मांगे पूरी नहीं की तो वे एक बार फिर से ट्रैक्टर ट्राली में सवार होकर पिछली बार की तरह ही दिल्ली कूच कर सकते हैं. किसान नेता जसविंदर का कहना है कि आगे आने वाले समय में किसान संगठन मिलकर आंदोलन को बड़ा करने के लिए कोई फैसला ले सकते हैं और सभी संगठन उस फैसले का पालन करेंगे. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द किसानों की सभी मांगें पूरी करने की मांग की है.

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