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Sunday, June 11, 2023

‘चौपाल’ में पहुंचीं रकुल प्रीत स‍िंह, बॉलीवुड में रीमेक कल्‍चर और ओटीटी Vs स‍िनेमा पर रखी अपनी बेबाक राय

देश के नंबर एक न्यूज चैनल News18 इंडिया पर सोमवार को ‘चौपाल’ का आयोजन क‍िया गया. ‘चौपाल’ में बॉलीवुड की जानीमानी अभ‍िनेत्री रकुल प्रीत स‍िंह ने भी श‍िरकत की. रकुल प‍िछले द‍िनों अपनी फिल्‍म ‘छतरीवाली’ के ल‍िए खूब तारीफें पा रही हैं. एक्‍ट्रेस ने इस कार्यक्रम में अपनी फिल्‍मों पर बात करते हुए कहा कि अगल उनकी फिल्‍मों से क‍िसी एक इंसान की भी क‍िस्‍मत बदलती है तो ये उनके ल‍िए बहुत बड़ी चीज है. इस कार्यक्रम में रकुल ने बॉलीवुड में आलोचना का श‍िकार होते ‘रीमेक कल्‍चर’ से लेकर ‘ओटीटी Vs थ‍िएटर’ की बहस पर बेबाकी से अपनी राय रखी. रकुल ने कहा कि रीमेक फिल्‍मों का दौर आज का नहीं है. वहीं वो हमेशा थिएटर की दुन‍िया को सपोर्ट करेंगी. जानिए एक्‍ट्रेस ने क्‍या कहा…
रीमेक का दौर नया नहीं है: रकुल प्रीत
ह‍िंदी स‍िनेमा में इन‍ द‍िनों साउथ की कई सुपरहिट फिल्‍मों का रीमेक बन रहा है. प‍िछले साल बॉलीवुड को इन फिल्‍मों के लिए सोशल मीड‍िया पर काफी ट्रोल‍िंग का भी श‍िकार होना पड़ा. ऐसे में ह‍िंदी फिल्‍मों में रीमेक के कल्‍चर के सवाल पर रकुल प्रीत ने कहा, ‘रीमेक का दौर आज का नहीं है, ये 70 औ 80 के दशक से चला आ रहा है. हालांकि आज सोशल मीड‍िया की वजह से इसपर ज्‍यादा बात हो रही है. मुझे लगता है कि लोगों को इसके जरिए अलग-अलग तरह का कंटेंट देखने को म‍िल रहा है. दूसरी बात ये भी है कि जो कहानी क‍िसी एक क्षेत्र में ह‍िट हुई है, उसे दूसरे रीजन में नई तरीके से द‍िखाना एक अच्‍छा तरीका है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ‘दृश्‍यम 2′ है. ये एक ऐसी फिल्‍म का रीमेक है, जो 2 सालों से सोशल मीड‍िया पर उपलब्‍ध है, लोगों ने इसे देखा है लेकिन फिर भी इसके रीमेक को लोगों ने खूब पसंद क‍िया है.’

ओटीटी Vs ब‍िग स्‍क्रीन
रकुल प्रीत की पिछली कुछ फिल्‍में सीधे ओटीटी पर रिलीज हुई हैं. उनकी फिल्‍म ‘कटपुतली’ साउथ की फिल्‍म का रीमेक है, जो सीधे ओटीटी पर आई और दूसरी फिल्‍म है, ‘छतरीवाली’ जो ओटीटी पर र‍िलीज हुई. इस फिल्‍म को दर्शकों से काफी अच्‍छी प्रतिक्रिया म‍िल रही है. ऐसे में क्‍या ओटीटी, बड़े पर्दे की जगह ले लेगा जैसे सवाल पर एक्‍ट्रेस ने कहा, ‘कोई चीज क‍िसी चीज की जगह नहीं ले सकती. जैसे कंप्‍यूटर आए और फिर मोबाइल आए. लेकिन मोबाइल ने उसकी जगह नहीं ली, बल्‍कि दोनों माध्‍यमों ने अपनी-अपनी जगह बना ली.’रकुल प्रीत आगे कहती हैं, ‘कोव‍िड के बाद हालात बदते हैं. लोगों ने अपने काम खो द‍िए हैं, फाइनेंशल हालात उतने अच्‍छे नहीं हैं. ऐसे में लोग फिल्‍मों पर उस तरह से खर्च नहीं कर रहे. हालांकि मैं हमेशा थिएटर की तरफ रहूंगी. पर मुझे लगता है कि इन दोनों ही माध्‍यमों की अपनी-अपनी ताकत है. 

जैसे ओटीटी के जरिए हम उन व‍िषयों पर भी कंटेंट देख रहे हैं जो बड़े पर्दे पर शायद नहीं आ पाती. जैसे मेरी फिल्‍म ‘छतरीवाली’ की ही बात करें तो ये फिल्‍म अगर ओटीटी पर नहीं होती तो हम शायद इतने लोगों तक पहुंच ही नहीं पाते, ज‍ितना अब हम पहुंच पाए. क्‍योंकि ऐसे व‍िषय पर सि‍नेमा में शायद फिल्‍म देखने में लोग सोचते. पर ओटीटी पर लोगों ने इसे देखा और उन्‍हें समझ आया कि ये फिल्‍म को साफ सुथरी है और एक अच्‍छे व‍िषय पर है.’ ओटीटी की वजह से इस तरह के व‍िषय वाली फिल्‍म को एक प्‍लेटफॉर्म तो म‍िलता है.’

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