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Saturday, June 10, 2023

कर्नाटक में पिछड़े मुस्लिमों का आरक्षण कोटा खत्म, जमीयत उलेमा-ए-हिंद कोर्ट में लड़ेगा लड़ाई

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी (Maulana Mahmood Madani) ने कर्नाटक सरकार के मुसलमानों के पिछड़े वर्ग के लिए 27 साल से जारी आरक्षण को खत्म किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है. मदनी ने इसे देश की व्यापक विकास नीति के लिए हानिकारक बताया है. मौलाना मदनी ने कहा कि इससे सरकार का दोहरा रवैया साफ जाहिर होता है. एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पसमांदा मुसलमानों की भलाई और कल्याण की बातें कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ उनकी सरकार कर्नाटक में मुसलमानों से आरक्षण (Muslim Reservation Quota) छीनकर अन्य वर्गों को बांट रही है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के अध्यक्ष मौलाना मदनी ने तर्क दिया कि विभिन्न सरकारी आंकड़ों और आयोगों की रिपोर्टों से यह तथ्य दिन के उजाले की तरह साफ है कि भारत के मुसलमान आर्थिक और शैक्षिक रूप से अत्यंत पिछड़े और विकास के सबसे निचले पायदान पर हैं. इसलिए आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर मुसलमानों से अधिक कोई भी समुदाय आरक्षण का हकदार नहीं है. लेकिन धर्म को आधार बना कर बीजेपी मुसलमानों को देश में मिलने वाले ऐसे सभी लाभों से वंचित करती रही है. जबकि कर्नाटक में विशेष रूप से धर्म आधार नहीं है और न ही सभी मुसलमान इससे लाभान्वित हो रहे हैं. केवल 12 पसमांदा मुस्लिम जातियां ही इस श्रेणी में आती हैं.

मौलाना मदनी ने आरोप लगाया कि इन तथ्यों के बावजूद कर्नाटक सरकार का मुसलमानों के आरक्षण को खत्म करके वहां के वोक्कालिंगा और लिंगायत समुदायों के लिए आरक्षण को बढ़ाना चुनावी अवसरवादिता और घोर तुष्टीकरण का उदाहरण है. इसका उद्देश्य दो समुदायों के बीच विवाद और दूरी पैदा करना भी है. मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद देश की व्यापक तरक्की और सभी वर्गों के साथ न्याय की आवाज बुलंद करने वाला संगठन है. वह इस तरह के अन्याय को बिलकुल पसंद नहीं कर सकता है. इसलिए इस संबंध में न्यायिक प्रक्रिया के लिए जल्द कदम उठाए जाएंगे.

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