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Sunday, June 11, 2023

राजस्थान से अरुणाचल प्रदेश तक डोली धरती, जोरदार भूकंप से सहमे लोग, जानें कहां-कितनी तीव्रता

 राजस्थान से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक राजस्थान के बीकानेर में 4.2 तीव्रता का भूकंप आया. वहीं, अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग में भी भूकंप के झटके महसूस हुए, जिसकी रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 3.5 मापी गई. चांगलांग में शनिवार और रविवार की दरमियानी रात 1 बजकर 45 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस हुए. इसके 30 मिनट बाद बीकानेर में कंपन महसूस किया गया. दोनों ही जगहों पर जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है. भूकंप का केंद्र बीकानेर से 516 किलोमीटर पश्चिम में था.

पिछले कुछ महीने में उत्तराखंड, हिमाचल, पूर्वोत्तर के राज्यों सहित देश के अलग अलग हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं.  चार दिन पहले दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.7 मापी गई थी. दोपहर 4ः42 बजे यह भूकंप आया था. इसका केंद्र नांगलोई था. इससे एक दिन पहले भी दिल्ली एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.8 थी और भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद में था. करीब 30 से 40 सेकंड तक कंपन महसूस किया गया था और लोग डर के मारे अपने घरों से बाहर निकल गए थे.

दिल्ली एनसीआर में 21 मार्च की रात आए भूकंप की उत्पत्ति धरती की सतह से 187.6 किलोमीटर नीचे हुई थी. भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि भकूंप का केंद्र धरती की जितनी अधिक गहराई में होता है, कंपन का दायरा उतना ही सीमित होता है और गहराई जितनी कम होती है, भूकंप के झटके उतनी अधिक दूरी तक महसूस किए जाते हैं. यही वजह है कि 21 मार्च, 2023 की रात आया भूकंप दिल्ली-एनसीआर के अलावा पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में भी महसूस किया गया. यूरोपीय भूमध्यसागरीय भूकंपीय केंद्र ने कहा कि शनिवार को चिली के तारापाका क्षेत्र में 5.5 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप का केंद्र पृथ्वी की सतह के नीचे 155 किलोमीटर की गहराई में था.

पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र को दुनिया के सबसे खतरनाक भूकंपीय जोन में माना जाता है. नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) के वैज्ञानिकों की मानें तो इस क्षेत्र में भविष्य में शक्तिशाली भूकंप आ सकता है, रिक्टर स्केल पर जिसकी तीव्रता 7 से 8 के बीच हो सकती है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि संरचनाओं को मजबूत करके जानमाल के नुकसान को कम किया जा सकता है. पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में धरती के नीचे अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेटों में निरंतर संघर्ष चलता रहता है. इससे यहां के भूगर्भीय क्षेत्र में बड़ी मात्रा में ऊर्जा संग्रहीत हो रही है और यही ऊर्जा बड़े पैमाने पर भयंकर भूकंप का कारण बन सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती की परत कई प्लेट्स से मिलकर बनी है. भारतीय प्लेट्स हर साल 5 सेंटीमीटर तक खिसक रही है.

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