ड्वेन ब्रावो और कायरन पोलार्ड.ये 2 दिग्गज वेस्टइंडीज के साथ ही चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस की मजबूत कड़ी रहे हैं.ड्वेन ब्रावो आईपीएल के पहले सीजन से ही इस लीग का हिस्सा बन गए थे.कायरन पोलार्ड की आईपीएल में एंट्री हुई 2010 में.दुनिया की सबसे बड़ी टी20 लीग में कायरन पोलार्ड की आमद और नीलामी में उनको लेकर मची होड़ के किस्से बेहद दिलचस्प हैं.
ड्वेन ब्रावो का आईपीएल करियर 2008 में मुंबई इंडियंस के साथ शुरू हुआ.ब्रावो 2010 तक रोहित शर्मा की टीम के लिए खेले और फिर चेन्नई सुपर किंग्स ने उन्हें अपने पाले में कर लिया.मुंबई से जुड़ने के साथ ही ब्रावो ने टीम के थिंक टैंक को युवा कायरन पोलार्ड के बारे में बताना शुरू कर दिया था.ब्रावो की कोशिश थी कि पोलार्ड 2009 में ही मुंबई की टीम में शामिल हो जाए.हालांकि,ऐसा हो नहीं पाया.ब्रावो ने अपने प्रयास जारी रखे.2009 चैंपियंस लीग टी20 और कई टूर्नामेंट में कायरन पोलार्ड ने लाजवाब प्रदर्शन किया तो ड्वेन ब्रावो ने एक बार फिर जोर लगाया.इस बार मुंबई इंडियंस का मैनेजमेंट पोलार्ड को किसी भी कीमत पर खरीदने को राजी हो गया.
सीक्रेट बोली से हुआ फैसला
कायरन पोलार्ड आईपीएल 2010 सीजन के लिए पहली बार ऑक्शन में शामिल हुए.मुंबई इंडियंस तो पहले से तैयार थी,लेकिन नीलामी में कई और टीमों में भी पोलार्ड पर रकम लुटाने की होड़ मच गई.ऑक्शन में कायरन पोलार्ड का बेस प्राइस एक करोड़ रुपये के आसपास था,लेकिन टीमों की बिडिंग वार की वजह से यह रकम 3.50 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.पोलार्ड के चलते मुंबई,चेन्नई,कोलकाता और बैंगलोर की टीमों का पर्स तकरीबन खाली हो चुका था.4 टीमें 3.50 करोड़ रुपये की बोली के साथ टाई पर थी तब उस वक्त के आईपीएल चीफ ललित मोदी ने टाई ब्रेक रूल लागू करते हुए टीमों से पोलार्ड के लिए सीक्रेट रकम लिखकर देने को कहा. इसमें जिस भी टीम की बोली ज्यादा होती पोलार्ड उसके हिस्से में जाते.
हालांकि,पोलार्ड को 3.50 करोड़ रुपये ही मिले.नियम के मुताबिक,टीमों के पर्स में मौजूद रकम ही खिलाड़ी को मिलनी थी.उससे ऊपर के सारे पैसे आईपीएल के खाते में गए. कायरन पोलार्ड ने आईपीएल के डेब्यू सीजन में 14 मैचों में 273 रन बनाने के साथ 15 विकेट चटकाए.वह शुरू से आखिर तक मुंबई इंडियंस का ही हिस्सा रहे.मुंबई ने 5 बार जबकि,ड्वेन ब्रावो की टीम रही चेन्नई ने 4 बार आईपीएल खिताब जीता है.