हिंदी सिने जगत में दिलीप कुमार (Dilip Kumar) और अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ऐसे कलाकार हैं, जो सिर्फ अपने नाम से ही दर्शकों को खींच लिया करते थे. इन दोनों ही कलाकारों ने भारतीय सिनेमा को ऊंचाई तक पहुंचाने में अपना खास योगदान दिया है. हैरानी की बात है कि लंबे समय तक फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा रहने के बावजूद दिलीप कुमार के साथ अमिताभ ने मात्र एक ही फिल्म की. 1 अक्टूबर 1982 में रिलीज हुई फिल्म ‘शक्ति’ में स्क्रीन पर दोनों एक्टर पिता-पुत्र की भूमिका में नजर आए. जब ये फिल्म रिलीज हुई थी तो तहलका मच गया था. फिल्म में अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार के साथ राखी और स्मिता पाटिल थी. इस फिल्म के एक्टर्स के चुनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है.
दरअसल, ये वही दौर था जब सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का जमाना ढलान पर था. प्यार मोहब्बत से भरपूर फिल्मों की जगह अब दर्शकों को ‘जंजीर’ का यंग एंग्रीमैन पसंद आने लगा था. ‘जंजीर’, ‘शोले’, ‘दीवार’ जैसी फिल्मों के बाद अमिताभ बच्चन नए दौर के नायक के रुप में जलवा बिखेर रहे थे. वहीं दिलीप कुमार अपने करियर की दूसरी पारी में दमदार भूमिका की तलाश में थे. ऐसे में दिलीप और अमिताभ का साथ काम करना, अपने आप में एक खबर थी.
दिलीप-अमिताभ की फिल्म ‘शक्ति’
इस फिल्म में सिवाय दिलीप कुमार के सभी एक्टर्स की तलाश आसान नहीं रही. ‘शक्ति’ में डीसीपी के दमदार रोल के लिए दिलीप कुमार मेकर्स की पहली और आखिरी पसंद थे. चूंकि दिलीप साहब का रोल बेहद दमदार था, लिहाजा उनके अपोजिट नए एक्टर की तलाश की जा रही थी. साल 2015 में फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में रमेश सिप्पी ने बताया था कि ‘हमने एक एक नए हीरो का ऑडिशन तो ले लिया लेकिन वो दमखम कहां से लाते, जो किरदार की मांग थी. इसी बीच अमिताभ बच्चन को पता चला कि हम ऐसे किरदार की तलाश में हैं तो उन्होंने पूछा कि ‘मुझे क्यों नहीं लिया गया तो मैंने साफ-साफ बता दिया कि आपका रोल सीधा है. उसमें लार्जर दैन लाइफ की गुंजाइश नहीं है. लेकिन उन्हें दिलीप कुमार के साथ काम करने का आइडिया पसंद आया. फिर राखी को अमिताभ की मां के रोल के लिए मनाना पड़ा. कहा कि दिलीप साहब के साथ काम करने का मौका फिर कहां मिलेगा’.
सलीम-जावेद ने दिलीप कुमार को मनाया था
वहीं पहले नीतू कपूर फिल्म की एक्ट्रेस थीं लेकिन फिल्म टल गई तो स्मिता पाटिल को लिया गया, क्योंकि नीतू कपूर ने उन्हीं दिनों फिल्म में काम करना छोड़ दिया था’. फिल्म समीक्षक रामचंद्रन श्रीनिवासन ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘दिलीप कुमार चाहते थे अमिताभ बच्चन उनके भाई के रोल में पर्दे पर नजर आए,लेकिन फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर सलीम जावेद ने उन्हें मनाया और किसी तरह कन्विंस किया कि अमिताभ का बेटा होना ही बेहतर रहेगा.
सलीम-जावेद की जोड़ी की सबसे बेहतरीन स्क्रिप्ट्स में से एक ‘शक्ति’ की मानी जाती है. दो पीढ़ियों के टकराव को दिखाती हुई कहानी इतनी जबरदस्त थी कि दर्शक के बीच आखिर तक सस्पेंस बना रहता है. जब स्क्रीन पर बाप-बेटे की टकराहट संवादों के माध्यम से आती है तो अपना एक खास असर छोड़ जाती है.