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Saturday, June 10, 2023

मरुधरा के उन 5 प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों का इतिहास, जहां मन्नत पूरी करने को उमड़ता है भक्तों का सैलाब

चूरू. मरुधरा के हनुमान मंदिरों (Hanuman Temples) से जुड़ी मान्यताएं सदियों पुरानी हैं और महाभारत कालीन (Mahabharat Period) युग तक से जुड़ी हैं. यूं तो गांव-शहरों में कई हनुमानजी के मंदिर हैं, लेकिन कुछ प्रसिद्ध मंदिरों (Famous Temples) की ख्याति देशभर हैं. अंजनि सुत और राम भक्त हनुमान के भक्तगण (Devotees) हर मंगलवार और शनिवार को दर्शनार्थ आते हैं. कुछ मौकों पर प्रसिद्ध मंदिरों में मेला (Fair) भी लगता है. ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी के बालाजी (Balaji) स्वरूप सबकी मनोकामनाएं जल्द पूरी करते हैं.

आज हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर आपके प्रदेश के उन पांच प्रसिद्ध हनुमान जी मंदिरों के बारे में बताते हैं, जहां श्रद्धा का सैलाब अक्सर उमड़ता है. साथ ही यह बताएंगे कि इन मंदिरों की प्रतिमा में क्या खासियत है…

सालासर बालाजी: देश में एकमात्र दाढ़ी-मूंछ वाले हनुमानजी
सालासर धाम राजस्थान के चूरू और सीकर जिले की सीमा पर स्थित है. चूरू के गांव सालासर में बालाजी मंदिर की स्थापना का इतिहास बड़ा रोचक है. करीब तीन सौ साल पहले मोहनदास की भक्ति से प्रसन्न होकर बालाजी ने इन्हें मूर्ति रूप में प्रकट होने का वचन दिया. मान्यता है कि भक्त मोहनदास को दिया वचन पूरा करने के लिए बालाजी नागौर जिले के आसोटा गांव के खेत में 1811 में प्रकट हुए. तब बालाजी के मूर्ति ने बाजरे के चूरमे का पहला भोग लगाया. इसलिए सालासर बालाजी को चूरमे का भोग लगता है. जब मूर्ति प्रकट हुई तो बालाजी ने सपने में आसोटा के ठाकुर को इसे सालासर ले जाने को कहा. उधर बालाजी ने मोहनदास को सपने में बताया कि बैलगाड़ी जहां पर खुद रुक जाए, वहीं मूर्ति स्थापित करनी है. मूर्ति को उस समय वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया.

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