अक्षय तृतीया महापर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन किए गए शुभ कार्य का अक्षय फल मिलता है, इसलिए लोग इस दिन सोना-चांदी, मकान-गाड़ी आदि खरीदते हैं।
अक्षय तृतीया विवाह, घर को गर्म करने, हजामत बनाने, नया काम शुरू करने आदि के लिए एक शुभ दिन है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। इस बार अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को मनाई जाएगी। साथ ही इस बार अक्षय तृतीया पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। जिससे इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ गया है।
अक्षय तृतीया पर शुभ योग
22 अप्रैल 2023 को अक्षय तृतीया पर आधा दर्जन से अधिक शुभ योग बन रहे हैं। अक्षय तृतीया के दिन चंद्रमा वृष राशि में उदय होगा। साथ ही सूर्य के स्वामित्व वाला कृतिका नक्षत्र भी रहेगा। इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन अमृत सिद्धि योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग, त्रिपुष्कर योग और आयुष्मान योग भी बन रहे हैं। इस प्रकार अनेक शुभ योगों को मिलाकर महायोग में किया गया पूजन-उपचार व्यक्ति की हर मनोकामना को पूर्ण करता है।
अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया पर पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 22 अप्रैल शनिवार को सुबह 7 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें। ऐसा करने से अपार धन की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इसके लिए अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद उस स्थान का गंगाजल से अभिषेक कर उत्तर-पूर्व दिशा में एक चौक लगाएं। इसके ऊपर एक पीला कपड़ा बिछाएं और फिर भगवान विष्णु-मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर लगाएं। चांदी के बर्तन में थोड़ा सा गंगाजल लेकर उसमें केसर डालकर चंदन बना लें। फिर इस केसर चंदन को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को लगाएं और फिर बचा हुआ चंदन अपने माथे पर लगाएं। इसके बाद भी अगर चंदन बच जाए तो उसे रख लें और जब भी किसी जरूरी काम से जाएं तो चंदन लेकर जाएं। इन उपायों को करते ही आपका भाग्य आपका साथ देने लगेगा और आपको ढेर सारी सुख-समृद्धि और तरक्की मिलेगी।
(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक मान्यता पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं भी हो सकता। सामान्य हित और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए यहां इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।)