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Sunday, June 11, 2023

Chaitra Vinayaka Chaturthi 2023: कब है चैत्र की विनायक चतुर्थी? दिन के शुभ मुहूर्त में होगी गणेश पूजा, चंद्रमा का दर्शन रहेगा वर्जित

चैत्र की विनायक चतुर्थी व्रत इस माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को है. इस दिन चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. चैत्र विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करते हैं. गणपति बप्पा के आशीर्वाद से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है, संकट दूर होते हैं, वास्तु दोषों का भी नाश होता है. हालांकि विनायक चतुर्थी की पूजा दिन के समय में करते हैं. इस दिन चंद्रमा का दर्शन वर्जित होता है क्योंकि व्यक्ति पर झूठे आरोप लग सकते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं चैत्र की विनायक चतुर्थी की तिथि, पूजा मुहूर्त और शुभ योग के बारे में.

चैत्र विनायक चतुर्थी 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 मार्च शुक्रवार को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो रही है. य​ह तिथि 25 मार्च शनिवार को शाम 04 बजकर 23 मिनट तक है. उदयातिथि के अनुसार, चैत्र की विनायक चतुर्थी 25 मार्च को है. इस दिन व्रत और गणेश पूजन होगा.

चैत्र विनायक चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त
चैत्र की विनायक चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 14 मिनट से है. इस दिन आप गणेश जी की पूजा सुबह 11:14 बजे से लेकर दोपहर 01:41 बजे तक कर सकते हैं.

रवि योग में है विनायक चतुर्थी व्रत
विनायक चतुर्थी व्रत के दिन रवि योग बना हुआ है. इस दिन सुबह 06 बजकर 20 मिनट से दोपहर 01 बजकर 41 मिनट तक है. इस दिन पूजा मुहूर्त के समापन तक रवि योग है. रवि योग में पूजा करना शुभ रहेगा. इस योग में सूर्य का प्रभाव अधिक होता है.

विनायक चतुर्थी को न देखें चंद्रमा
व्रत वाले दिन चंद्रोदय सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर होगा. शुक्ल पक्ष में चंद्रमा का उदय सुबह में होता है. भगवान श्रीकृष्ण ने चतुर्थी का चांद देखा था तो उन पर मणि चोरी करने का कलंक लगा था.

भद्रा में है चैत्र की विनायक चतुर्थी
इस साल चैत्र की विनायक चतुर्थी भद्रा में है. इस दिन भद्रा सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन शाम 04 बजकर 23 मिनट पर होगा. भद्रा के समय मांगलिक कार्य नहीं करते हैं. हालांकि गणेश जी की पूजा कोई समस्या नहीं है. यह भद्रा स्वर्ग की है, इसका प्रभाव मृत्यु लोक यानि पृथ्वी पर नहीं होता है.

(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक मान्यता पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं भी हो सकता। सामान्य हित और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए यहां इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।)

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