वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर ग्रह समय-समय पर अपना स्थान परिवर्तन करता है. इसका प्रभाव सभी 12 राशियों के जीवन पर साफ देखा जा सकता है. बता दें कि 17 जनवरी को शनि देव ने कुंभ राशि में गोचर किया था और अभी वे इसी राशि में भ्रमण कर रहे हैं. इस दौरान शनि अपनी दशमी दृष्टि वृश्चिक राशि पर डाल रहे हैं. वहीं, शुक्र ग्रह भी वृश्चिक राशि पर अपनी सातवीं दृष्टि डाल रहे हैं. इस दौरान शश और मलाव्य योग का निर्माण हो रहा है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वृश्चिक राशि पर मंगल देव का आधिपत्य है. ऐसे में 3 राशि के जातकों को शनि की दशमी दृष्टि का विशेष रूप से लाभ मिलने वाला है. इस दौरान करियर और कारोबार में लाभ होगा. व्यक्ति की तरक्की के योग बन रहे हैं. आइए जानते हैं ये राशियां कौन सी हैं.
वृष राशि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस राशि के जातकों के लिए शनि की दशमी दृष्टि शुभ फलदायी साबित होगी. 6 अप्रैल को शुक्र के लग्न भाव में गोचर कर गए हैं. वहीं, इनकी सप्तम दृष्टि व्यक्ति के दांपत्य जीवन को प्रभावित करेगी. वहीं, शनि देव आपकी गोचर कुंडली के कर्म भाव में भ्रमण कर रहे हैं. ऐसे में वे सप्तम भाव में ही अपनी दृष्टि डाल रहे हैं. ऐसे में आपकी वैवाहिक जीवन में सुखों की प्राप्ति होगी. पार्टनरशिप में लाभ होगा.
इस दौरान आप कोई व्यापारिक समझौता कर सकते हैं. शनि यहां पर नवपंचम राजयोग का निर्माण भी कर रहे हैं. इस समय आपको सुकून मिलेगा. साथ ही, जरूरी कार्य बनेंगे. करियर में तरक्की के योग बन रहे हैं. ये समय इन राशि वालों के लिए अनुकूल रहने वाला है.
कुंभ राशि
इस राशि के जातकों के लिए भी शनि की दशमी दृष्टि अनुकूल रहने वाली है. बता दें कि शनि देव ने अपनी कुंडली में शश, केंद्र त्रिकोण राजयोग बनाया है. वहीं, शुक्र के गोचर से मालव्य राजयोग बना है. शनि और शुक्र की दृष्टि आपके करियर और कारोबार के भाव पर असर डालेगी. काम-कारोबार में लाभ हो सकता है. बेरोजगार लोगों को नौकरी मिल सकती है.व्यापारियों को अच्छा धन लाभ हो सकता है. नौकरीपेशा लोगों को पदोन्नति और इंक्रीमेंट मिलने के योग बन रहे हैं.
सिंह राशि
बता दें कि शनि की दशमी दृष्टि इस राशि के जातकों के लिए सुखद और लाभप्रद सिद्ध होगी. अगर आप फिल्म लाइन, कला, संगीत, मीडिया आदि से जुड़े हैं, तो ये समय आपके लिए शानदार हो सकता है. बता दें कि शनि की दशमी दृष्टि चतुर्थ भाव में पड़ने वाली है.
(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक मान्यता पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं भी हो सकता। सामान्य हित और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए यहां इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।)