बुढ़वा महादेव मंदिर के 500 वर्ष पुराने शिवलिंग का इतिहास जानकर आप चौक जाएंगे. क्योंकि इस स्थान पर भगवान बुद्ध का निवास हुआ करता था. पाषाण काल के बने इस शिवलिंग का अनोखा चमत्कार है. शिवरात्रि के दिन यहां चार पहर की पूजा होती है. चारों पहर लोग पूजा कर मनोकामनाएं मांगते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर अलगे साल पुन: पूजा करने पहुंचते हैं.
स्थानीय पुजारी प्रमोद कुमार मिश्रा कहते हैं कि प्राचीन समय में भगवान बुद्ध जब नेपाल की लुंबिनी नदी तट से बोधगया पहुंचे और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई थी, तब हजारीबाग आए थे. हजारीबाग में भगवान बुद्ध ने एक मंदिर में शरण ली थी. उस मंदिर में पाषाण काल के शिवलिंग थे. जब कुछ दिनों तक निवास करने के बाद भगवान बुद्ध उस मंदिर से चले गए तो लोगों ने उनके नाम पर इस मंदिर का नाम बुद्धा महादेव रख दिया.
बदलते समय के अनुसार, लोक बोलियों में बुद्धा महादेव नाम विकृत होता गया. धीरे-धीरे इस मंदिर का नाम बुद्धा महादेव से बुढ़वा महादेव के रूप में परिवर्तित हो गया. महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती का विवाह संपन्न कराया जाएगा. इस अवसर पर लोग इस मंदिर में श्रद्धा भक्ति से महाशिवरात्रि की पूजा अर्चना करते हैं और चार पहर की आरती गाते हैं.
(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक मान्यता पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं भी हो सकता। सामान्य हित और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए यहां इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।)