fbpx
Saturday, June 10, 2023

इस वजह से भगवान विष्णु ने लिया था ‘मत्स्य अवतार’

20 मार्च को चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है, विष्णु पुराण में कथा है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अपने 10 अवतारों में से पहला अवतार लिया था जो मत्स्य अवतार के नाम से जाना गया।

मत्स्य अवतार की कथा
भगवान विष्णु का यह अवतार सृष्टि के अंत में हुआ था जब प्रलय काल आने में कुछ वक्त बचा था। सत्यव्रत मनु जिनसे मनुष्य की उत्पत्ति हुई धर्मात्मा और भगवान विष्णु के भक्त थे। एक दिन जब सत्यव्रत मनु नदी तट पर पूजन और तर्पण कर रहे थे तब उनके कमंडल में नदी की धारा में बहकर एक छोटी सी सुनहरी मछली आ गई।

उस छोटी सी मछली को लेकर मनु अपने राजमहल लौट आए। अगले दिन वह मछली इतनी बड़ी हो गई कि उसे एक बड़े से तालाब में रखना पड़ा। अगले दिन मछली तलाब में भी नहीं समा रही थी तब उसे नदी में डाल दिया गया। उस समय मनु ने मछली से पूछा कि आप असाधारण हैं मछली हैं, आप अपना परिचय दीजिए।

भगवान विष्णु मछली से प्रकट हुए और बताया कि आज से 7 दिन बाद प्रलय आने वाला है सृष्टि की रक्षा के लिए मैंने यह अवतार लिया है। आप एक बड़ी सी नाव बना लीजिए और उसमें सभी प्रकार की औषधि और बीज रख लीजिए ताकि प्रलय के बाद फिर से सृष्टि के निर्माण का कार्य पूरा हो सके।

प्रलय आने से पहले भगवान सत्यव्रत के पास आए और उनसे कहा कि आप अपनी नाव को मेरी सूंड में बांध दीजिए। सत्यव्रत परिवार सहित नाव पर सभी प्रकार के बीज और औषधि लेकर सवार हो गए और प्रलयकाल के अंत तक भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के सहारे महासागर में तैरते रहे। मत्स्य अवतार में भगवान ने चारों वेदों को अपने मुंह में दवाए रखा और जब पुनः सृष्टि का निर्माण हुआ तो ब्रह्मा जी को वेद सौंप दिए। इस तरह भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर प्रलय काल से लेकर सृष्टि के फिर से निर्माण का काम पूरा किया।

ऐसी भी कथा है कि सृष्टि के निर्माण के समय जब चारों तरफ जल ही जल था तब पृथ्वी की स्थापना के लिए मत्स्य भगवान ही महासागर के तल में जाकर अपने मुंह में मिट्टी लेकर आए थे और इससे जल के ऊपर पृथ्वी का निर्माण किया गया था।

(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक मान्यता पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं भी हो सकता। सामान्य हित और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए यहां इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।)

Related Articles

नवीनतम