Tuesday, September 26, 2023

हनुमान चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए? जानिए इसे करने का सही तरीका और समय

हिन्दू-देवताओं में प्रभु श्री राम के परम भक्त पवनपुत्र हनुमान का महत्वपूर्ण स्थान है। मान्यता है कि अगर सच्चे मन से बजरंगबली की आराधना की जाए तो मनुष्य को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। अंजनीपुत्र हनुमान को प्रसन्न करने के लिए ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन में आईं समस्याएं दूर हो सकती हैं और रोगों तथा मुसीबतों से भी छुटकारा मिल सकता है। लेकिन अगर आपको हनुमान चालीसा का पाठ करने का सही तरीका और नियम नहीं पता होगा तो आपको इसका सही फल नहीं मिल पाएगा। यहां हम आपको हनुमान चालीसा का पाठ करती बार करना चाहिए और इसके नियम के बारे में बताने वाले हैं।

हनुमान चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए

इस सवाल का जवाब खुद हनुमान चालीसा की एक पंक्ति में दिया गया है। जिसमें लिखा है, ‘जो शत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई’ इसका हिंदी में अर्थ है कि जो कोई भी व्यक्ति हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करता है वह बंधनो से मुक्त हो कर आनंद की प्राप्ति करता है।’ हनुमान चालीसा का पाठ शास्त्रों के मुताबिक, 100 बार करना चाहिए लेकिन अगर आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो इसका पाठ कम से कम 7, 11 या 21 बार जरूर करें। उदाहरण के लिए आप गर्म तवे पर जितना पानी डालेंगे तवा उतनी जल्दी ठंडा होगा मतलब आप भगवान की जितनी आराधना करेंगे आपको फल भी उसी हिसाब से मिलेगा।

हनुमान चालीसा का पाठ करने की विधि

बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले नित्यक्रिया करके स्नान करें और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। हनुमान चालीसा का पाठ जमीन पर आसन के ऊपर बैठकर करना चाहिए। बिना आसन के बैठकर पूजा करना अशुभ माना जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले भगवान गणेश की वन्दना करें और प्रभु श्री राम का आराधना करें। इसके बाद आप हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। 

हनुमान चालीसा का पाठ करने का सही समय

भगवान श्रीराम के परमभक्त अंजनीपुत्र हनुमान को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ आप सुबह या शाम के वक्त कर सकते हैं। ध्यान रखें कि हनुमान चालीसा का पाठ करने के पहले आप स्नान कर चुके हों। इसके साथ ही अगर आप शाम के समय में पाठ कर रहे हैं तो अपने हाथ और पैर अच्छी तरह धोकर साफ कपड़े पहनें और फिर पाठ करने के लिए बैठें। 

(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक मान्यता पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं भी हो सकता। सामान्य हित और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए यहां इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।)

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