Tuesday, September 26, 2023

पूजा में क्यों रखते हैं कलश, स्थापित करने के लिए किस धातु का करें उपयोग, इस सरल विधि से करें स्थापना

हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों के दौरान कलश स्थापना का विशेष महत्व है. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगलकामनाओं का प्रतीक माना जाता है. देवी पुराण में व्याख्यान मिलता है कि मां भगवती की पूजा-अर्चना करते समय सर्वप्रथम कलश की स्थापना की जानी चाहिए. घर या मंदिरों में होने वाले अनुष्ठान एवं पूजा पाठ में भी सबसे पहले कलश स्थापना ही की जाती है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं, कलश रखने की सही दिशा और सरल विधि से कलश स्थापना के बारे में.

हिन्दू धर्म में कलश को ब्रह्माण्ड, विराट, ब्रह्मा और भू पिंड का प्रतीक माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इसमें सम्पूर्ण देवताओं की शक्ति समाहित होती है. पूजन के दौरान कलश स्थापना को देवी की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक मानते हुए स्थापित किया जाता है.

पौराणिक मान्यताएं
हिन्दू धर्म में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्मा स्थित होते हैं. कलश के मध्य भाग में दैवीय मातृ शक्तियां निवास करती हैं. कलश में भरा हुआ जल शीतल, स्वच्छ और निर्मल बना रहने का संकेत देता है. वहीं ये जल क्रोध, मोह, माया और घृणा जैसी भावनाओं से दूर रहने की सीख भी देता है.

कैसा होना चाहिए कलश
कलश स्थापना से पहले इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि हमें स्थापना के लिए कौन से कलश का इस्तेमाल करना है. कलश स्थापना में सदैव सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी के बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए. पूजा के लिए लोहे के कलश का उपयोग कभी भी नहीं करना चाहिए. कलश स्थापना करते समय दिशा का ज्ञान होना भी बहुत ज़रूरी है. कलश की स्थापना हमेशा उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में करना चाहिए.

कलश स्थापना के नियम
कलश स्थापना करते समय इन सबसे पहले जिस स्थान पर कलश स्थापित करने जा रहे हैं. उस स्थान की अच्छे से साफ सफाई करनी चाहिए. फिर उस स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद ही कलश स्थापना की जानी चाहिए. कलश स्थापना के लिए मिट्टी की वेदी बनाकर हल्दी से अष्टदल बनाएं. कलश में पंच पल्लव, जल, दूर्वा, चन्दन, पंचामृत, सुपारी, हल्दी, अक्षत, सिक्का, लौंग, इलायची, पान डालकर स्थापित करें.

कलश पर बनाएं स्वास्तिक
कलश को स्थापित करने के बाद इसके ऊपर लाल रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए. कलश पर बनने वाला ये स्वास्तिक का चिन्ह चरों युगों का प्रतीक माना जाता है.

कलश पर रखें आम के पत्ते
कलश स्थापना करते समय कलश के नीचे जौ या गेंहू रखना चाहिए और कलश के मुंह पर आम के पत्ते रखने के बाद नारियल स्थापित करना चाहिए. इसके बाद पंचोपचार से कलश का पूजन करना चाहिए.

(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक मान्यता पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं भी हो सकता। सामान्य हित और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए यहां इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।)

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