सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
सोमवार, 19 जून 2023 से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो गया है। यह नौ दिन देवी आराधना के लिए सबसे खास माने गए हैं। यह नवरात्रि सभी तरह के दुखों से निवारण लिए खास मानी गई है। यदि आप तंत्र विद्या नहीं जानते और माता की सामान्य पूजा करके मनवांछित फल पाना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए उपयोगी है।
यहां पढ़ें गुप्त नवरात्रि में देवी पूजन की सामग्री सूची और कैसे करें देवियों का पूजन, पढ़ें पूजा विधि-
गुप्त नवरात्रि पूजन सामग्री की सूची :
1. देवी दुर्गा की प्रतिमा/ चित्र
2. लाल चुनरी
3. आम की पत्तियां
4. चावल
5. दुर्गा सप्तशती की किताब
6. लाल कलावा
7. पान के पत्ते
8. लौंग
9. इलायची
10. गंगा जल
11. चंदन
12. नारियल
13. कपूर
14. जौ के बीच
15. मिट्टी का बर्तन
16. गुलाल
17. सुपारी
पूजा विधि : Gupt navratri puja vidhi
– गुप्त नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करने स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– उपरोक्त सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें।
– अब पूजा की थाल सजाएं।
– देवी मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में सजाएं।
– मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रतिदिन पानी का छिड़काव करें।
– पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें।
– इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर नारियल रखें।
– कलश को लाल कपड़े से लपेट कर कलावा के माध्यम से उसे बांधें।
– अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें।
– पुष्प, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत आदि के साथ पंचोपचार पूजा करें।
– नौ दिनों तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्रों तथा 10 महाविद्याओं के मंत्रों का जाप करें। और ‘या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।’ इस मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें।
– माता की साधना करते हुए जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करें।
– अष्टमी या नवमी तिथि को माता पूजन के बाद नौ कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराएं तथा उनके चरण धोकर कुछ न कुछ सामग्री भेंटस्वरूप दें।
– गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन दुर्गा पूजा के पश्चात घट विसर्जन करके मां की आरती करें, पुष्प, अक्षत चढ़ाकर कलश को बेदी से उठाएं।
इस तरह की गई गुप्त नवरात्रि की पूजा-साधना से जीवन से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक मान्यता पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं भी हो सकता। सामान्य हित और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए यहां इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।)