Tuesday, September 26, 2023

संकष्टी चतुर्थी पर करें इन मंत्रों का जाप, घर में होगा सुख-समृद्धि और धन का आगमन

हिंदू धर्म में हर दिन कोई ना कोई व्रत त्योहार पड़ता रहता हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन संकष्टी चतुर्थी व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि हर माह में आता हैं।

आज से सावन महीने का आरंभ हो चुका हैं और इस माह पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को सावन संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि इस बार 6 जुलाई को पड़ रही हैं।

ये दिन भगवान शिव के पुत्र श्री गणेश की पूजा अर्चना को समर्पित किया गया हैं इस दिन भक्त भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता हैं कि ऐसा करने से भगवान की कृपा बरसती हैं इसके अलावा अगर संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश के चमत्कारी मंत्रों का जाप किया जाए तो जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख और संकट यथाशीघ्र दूर हो जाते हैं साथ ही घर में सुख समृद्धि और धन का आगमन होता हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान गणेश के चमत्कारी व शक्तिशाली मंत्र।

श्री गणेश मंत्र-

ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

गणेश बीज मंत्र

ऊँ गं गणपतये नमो नमः ।”

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

संकट नाशक मंत्र

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

नौकरी प्राप्ति हेतु मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

ऋण दूर करने हेतु मंत्र

“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर

वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।”

धन प्राप्ति हेतु मंत्र

गणपति मंत्र: श्रीं गं सौम्याय गणपतये

वर वरद सर्वजनं मे वशमानाय स्वाहा

लक्ष्मी गणेश ध्यान मंत्र

दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

(नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता और लोक मान्यता पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं भी हो सकता। सामान्य हित और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए यहां इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।)

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