मुगल बादशाह शाहजहां (Mughal Emperor Shah Jahan) के सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह (Dara Shikoh) इतिहास के एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं। इतिहासकार उनके व्यक्तित्व को बहुत ही जटिल और बहुआयामी बताते हैं। दारा शिकोह एक प्रखर विचारक, अनुवादक, कवि और धर्म शास्त्रों के ज्ञाता थे। फाइन आर्ट्स के वह बड़े कद्रदान थे।
मुगल बादशाह का सबसे बड़ा बेटा होने के बावजूद उन्हें सैन्य मामलों में कोई रुचि नहीं थी। शाहजहां भी दारा को सैन्य अभियानों में भेजने के हिमायती नहीं थे। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि शहजादे दारा शिकोह का कृतित्व सूफियों वाला था। हालांकि दारा शिकोह की शादी बहुत तड़क-भड़क वाली थी। उनकी शादी को मुगल सल्तनत (Mughal Empire) की सबसे महंगी शादी भी मानी जाती है।
पिता के प्रिय थे दारा शिकोह
दारा शिकोह (Dara Shikoh) अपने पिता शाहजहाँ को बहुत प्रिय थे। शाहजहाँ ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि उनके बाद दारा शिकोह ही हिंदुस्तान की गद्दी पर बैठेंगे। शहजादे के रूप में दारा को खर्च के लिए 1000 रुपये का दैनिक भत्ता भी दिया जाता था। बताया जाता है कि दारा शिकोह की शादी में उस जमाने में 32 लाख रुपये खर्च हुए थे।
दारा शिकोह पर किताब लिख चुके अवीक चंदा के हवाले से बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि शहजादे की शादी 1 फरवरी, 1633 को हुई थी। हालांकि शादी से जुड़े कार्यक्रम व दावत 8 फरवरी तक चले थे। दारा शिकोह की शादी से पहले उनकी मां और शाहजहां की पत्नी मुमताज का निधन हो चुका था।
दारा शिकोह की बड़ी बहन जहांआरा ‘बेगम बादशाह’ की भूमिका में थीं। जहांआरा ने अपने भाई की शादी में 16 लाख रुपये खर्च किए थे, यानी कुल 32 लाख रुपये में से 16 लाख रुपये जहांआरा के थे।
आठ लाख रुपये का था दुल्हन का लहंगा
बीबीसी पर प्रकाशित रेहान फजल की रिपोर्ट के मुताबिक, दारा शिकोह की दुल्हन नादिरा बानो ने शादी के मौके पर जो लहंगा पहना था उसकी कीमत आठ लाख रुपये थी।
उस शादी की एक दिलचस्प घटना और है। दरअसल दारा शिकोह और नादिरा बानो की शादी के मौके पर इतने पटाखे छोड़े गए थे कि उसकी रोशनी से आसमान जगमगा उठा था। कहते हैं कि रोशनी इतनी अधिक थी रात में भी दिन जैसा लग रहा था।
भाई ने ही कर दी थी दारा शिकोह की हत्या
दारा शिकोह सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता और योगवासिष्ठ का फारसी भाषा में अनुवाद कराया था। साथ ही 52 उपनिषदों का सिर्र-ए-अकबर नाम से अनुवाद कराया था। उन्हें इस्लाम की फिलॉसफी के गहन अध्ययन के लिए भी जाना जाता है। हालांकि उनकी इन अच्छाइयों ने उन्हें सत्ता में बने रहने में कोई मदद नहीं की। शाहजहां चाहते थे कि उनके बाद दारा शिकोह गद्दी संभालें। लेकिन गद्दी पर पहले से ही दारा शिकोह के छोटे भाई औरंगजेब (Aurangzeb) की नजर थी। सत्ता पाने के लिए औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह की ही हत्या कर दी थी।